गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

मुझे तुमसे मोहब्बत... है... , क्या कहें, क्या करें...


कैटरीना कैफ और अक्षय कुमार पर फिल्माया गया गाना मुझे तुमसे मोहब्बत... है... , क्या कहें, क्या करें... वाला हाल है। निश्चित रूप से हॉल में दर्शक खींचने के लिए बनाया गया है। ठीक है...। बेटा फिल्म का गाना माधुरी दीक्षित और अनिल कपूर पर फिल्माया गया, वह भी काफी बेहतर संगीत, नृत्य और सेंसिटीवनेस को लिये हुए था। गीतों की पैकेजिंग होती है। गीत और उसकी लय फिल्मों का भविष्य बताती हैं। फिल्म चलेगी या नहीं, ये सभी बातें गीत बता देती है। इन सब चीजों से अलग एक बात सोचनेवाली होगी कि गीत के माध्यम से लोगों के दिलों में उतरने की कोशिश कैसी होती होगी? कैसी? रोमांचित करती होगी... या फिर उनमें प्रोफेशनलिज्म होता होगा। कोई आदमी अगर दिल से काम न करे, तो शब्द, तेवर और लय की ट्यूनिंग सेट हो ही नहीं पायेगी। बिंदास अंदाज भी होना चाहिए। बिंदासपन, जिसमें सेंसिटीवनेस हो, लेकिन उन्मुक्तता की चरमता नहीं। उन्मुक्त होने के बाद भी मॉडरेट या थोड़ा सभ्य लगे। कहना नहीं चाहिए, कैटरीना के पास ये सबकुछ है। सबकुछ जो कि टॉप पर रहनेवाली हीरोइनों में होना चाहिए। ऐसा नही होता तो, आमिर भी उनके साथ गुरुदत्त-वहीदा की जोड़ी की नकल करने के लिए आगे नहीं आते। हेलेन की नजाकत की आज तक कोई नकल नहीं कर पाया और न ही नृत्य की उनकी तेज शैली को उतार पाया। अंदाज में बिंदासपन था, लेकिन लय ऐसी कि आप सौम्यता की प्रतिमूर्ति माने। कम से कम मुझे तुमसे मोहब्बत है... गीत और उसकी शैली प्रभावित तो करती ही है। दे दना दन के हिट होने के लिए पहली सीढ़ी साबित होगी या हो चुकी है.। दे दनादन...