गुरुवार, 4 मार्च 2010

अरे बंदर है क्या..

बचपन में शरारतें करते देखकर प्यार से लोग प्यार से उलाहने भरते

अरे बंदर है क्या..

हमने अपने स्टेटस में लिखा-हम सबके अंदर-है एक बंदर

बंदर हमें अपनी हरकतों से अपनी ओर खींचता है। कुछ-कुछ मजा आता है। उसकी फुर्ती लाजवाब होती है। पलभर में यहां से वहां। मैं उसकी हरकतों की तुलना खुद के मन से करता हूं। वह भी इसी प्रकार छटपटाता रहता है। कभी इस डाल-कभी उस डाल। हम कितने भी काबिल बन जाएं, लेकिन कभी भी छिछोरापन नहीं छोड़ते। अगर खुली छूट मिल जाए, तो जहां चाहे हाथ मार देते हैं। उसको रोकने के लिए एक ऐसे लीडर की जरूरत महसूस होती है, जो हमारे ऊपर निगरानी रख सके। हमें राह दिखा सके।

क्या उसका नाम बता सकते हैं?

3 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

मिथिलेश दुबे

बेनामी ने कहा…

koi aur bhi to ho sakta hai.... aur dosto ki kya rai hai..

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

aap se ashmat haun.