बुधवार, 26 नवंबर 2008
ये तो युद्ध है... जागो साथियों जागो
कल का मुंबई में आतंकी हमला आतंकवादियों के दुस्साहस की पराकाष्ठा है। हमारे फेल हो चुके सिस्टम की गवाही है। इन आतंकवादियों की हिम्मत देखिये,इन्होंने खुलेआम कहर बरपाया। आदमियों को बंधक बनाया। कल तक ये कार या स्कूटर में बम रखकर या छिपकर हमला करते थे। लेकिन इस बार हमें ललकारते हुए हमला किया। ये तो युद्ध की तरह है या कहिये युद्ध है। आतंकवादियों ने पूरी प्लानिंग कर हमला किया। ऐसी प्लानिंग की पुलिस और पूरा सिस्टम उनकी दया पर निभॆर रहा। इन हमलों के पीछे कोई ऐसा दिमाग काम कर रहा है, जो इस पूरे देश को विनाश के गतॆ में धकेल देना चाह रहा है। ये जो भी है, इसने हमें ललकारा है। सामने आकर चुनौती दी है, हमारी संप्रभुता और हमारी सुरक्षा को। यदि अब भी हम नहीं चेतेंगे, तो कल फिर ये इससे भी बड़े पैमाने पर घटना को अंजाम देंगे। अब इन आतंकियों को उनकी औकात बतानी ही होगी। क्या अब भी इस देश की सरकार और नेता आतंकवाद के मुद्दे पर राजनीति करेंगे? ये एक अहम सवाल है। आतंकवाद पर इस देश में अब कोई एकतरफा बहस नहीं हो। कठोरतम कारॆवाई जरूरी है। क्या देश की समृद्धि अब इन आतंकवादियों के भरोसे रहेगी? क्या हम मुंह बाये फिर आपस में नुक्तचीनी करते हुए अगले हमले का इंतजार करते रहें? आतंकवादी इस बार समुद्री रास्ते से आये। समुद्री रास्ते के प्रति संवेदनशीलता पहले भी जतायी जा चुकी है। लेकिन देश की सरकार निश्चित रूप से आंख मूंदे हुए थी। जिस कारण ये आतंकवादी इतने बड़े पैमाने पर कारॆवाई को अंजाम देने में सफल हुए हैं। जरूरी है कि इस युद्ध को उसके नतीजे तक पहुंचाने के लिए अब हम बिना सोचें तैयार हों। अब इसके बाद भी अगर दल और नेता आतंकवाद को लेकर राजनीति करते हैं, तो ये बेहद शमॆ की बात होगी। ये साफ है कि आतंकवाद का कोई धमॆ नहीं होता। इन आतंकियों का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि ये हमारी छाती को रौंद कर देश की आत्मा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जागो साथियों जागो।
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8 टिप्पणियां:
चिंता ना करे शाम तक अफ़जल भाई बिरयानी खा अपने देश के लिये रवाना हो जायेगे पाटिल जी पहुच रहे है सस्म्मान विदाई समारोह मे शिरकत के लिये
सरकार सेना और संतो को आतंकवादी सिद्ध करने जैसे निहायत जरूरी काम मे अपनी सारी एजेंसियो के साथ सारी ताकत से जुटी थी ऐसे मे इस इस प्रकार के छोटे मोटे हादसे तो हो ही जाते है . बस गलती से किरेकिरे साहब वहा भी दो चार हिंदू आतंकवादी पकडने के जोश मे चले गये , और सच मे नरक गामी हो गये , सरकार को सबसे बडा धक्का तो यही है कि अब उनकी जगह कौन लेगा बाकी पकडे गये लोगो के जूस और खाने के प्रबंध को देखने सच्चर साहेब और बहुत सारे एन जी ओ तीस्ता सीतलवाड की अगुआई मे पहुच जायेगी , उनको अदालती लडाई के लिये अर्जुन सिंह सहायता कर देगे लालू जी रामविलास जी अगर कोई मर गया ( आतंकवादी) तो सीबीआई जांच करालेगे पर जो निर्दोष नागरिक अपने परिवार को मझधार मे छोड कर विदा हो गया उसके लिये कौन खडा होगा ?
"हिन्दू आतंकवाद" विशेषज्ञ हेमन्त करकरे के मरने का हमे सख्त अफ़सोस है जो गलती से वहा चले गये थे
सोने की इतनी आदत हो गई है, जागना कठिन है । जागे भी तो आतंक के रंग खोजेगें । पुलिस की भर्ती में पैसा बचाना है, उनके वेतन में पैसा बचाना है, हर बात को राजनैतिक रंग देना है तो यह सब तो होगा ही ।
घुघूती बासूती
दर असल हम सब डरपोक है ...यहाँ भी जो भीतर गुस्सा है उसे कहने से डरते है.....कही न कही हमारे भीतर ये बात है की ये देश अब खोखला हो रहा है..कही न कही हम ये जानते है की आर्थिक स्तर पर विश्व में आई टी बूम वाल देश जो विकसित देशो की आँख की किरकिरी बन रहा था .....चंद सिरफिरे वाहियात जनूनी लोगो की बलि चढ़ जायेगा ......कब ओर कब चेतेगे वो लोग जिनके हाथ में पॉवर है....जो इस देश को चलाते है ...शायद हमारी किसी कठोर निर्णयों को लेने की अषमता इन आतंकवादियों के हौसले बुलंद कर रही है......इस वक़्त देश ऐसे मुहाने पर खड़ा है अब भी अगर हम नही चेते तो ये देश नही बचेगा .....अब सिर्फ़ कड़े ओर कड़े निर्णय लेने की जरुरत है ...कोई पंडित ,पैर पैगम्बर ,मौलाना ....अमर ,मुलायम ..आजमी ,कासमी कोई भी हो सबको लाठी से हांकना होगा...
एक आम भारतीय जैसे आए दिन इस तरह के विस्फोट झेलने के लिए अभिशप्त हो गया है। कुछ दिन भी नही बीतते कि इस तरह के हादसों की खबरें अंदर तक हिला देती हैं....हर बार दिल चीखता है कि बस, अब और नहीं।
आतंकवादी को हिन्दू, मुसलमान और संन्त कहने वाले शर्म करें। उन में थोड़ा सा भी भारतीय बचा हो तो चुल्लू भर पानी में डूब मरें।
कांग्रेस को सबक सिखाओ- देश बचाओ।
संजीव जी से सहमत… जब तक इस देश से कांग्रेस का खात्मा नहीं होगा यह देश इसी तरह मार खाता रहेगा, नपुंसक बना रहेगा…
अब तो हद ही हो गयी। कुछ क्रान्तिकारी कदम उठाना चाहिए। कुछ भी...।
अब समय आ गया है कि देश का प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को, राष्ट्रपति लालकृ्ष्ण आडवाणी को, रक्षामन्त्री कर्नल पुरोहित को, और गृहमन्त्री साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बना दिया जाय। सोनिया,मनमोहन,शिवराज पाटिल,और प्रतिभा पाटिल को अफजल गुरू व बम्बई में पकड़े गये आतंकवादियों के साथ एक ही बैरक में तिहाड़ की कालकोठरी में बन्द कर देना चाहिए। अच्छी दोस्ती निभेगी इनकी।
इनपर रासुका भी लगा दे तो कम ही है।
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