गुरुवार, 27 नवंबर 2008

शोक-विलाप नहीं, हिम्मत की बात करें

४८ घंटों तक लगातार दहशत को मुंहतोड़ जवाब देते मुंबई को सलाम। इस मुंबई ने कई हमले झेले, लेकिन इस बार का हमला जबरदस्त था। इसका भी मुंबई ने मुकाबला किया। फौलादी इरादों को कुचलने पूरी तैयारी से आये आतंकवादी भी इसे पार नहीं पा सके। ४८ घंटे तक पूरा देश, मीडिया और हर आम आदमी मुंबई के साथ रहा। मुंबई हमारी शान है। इस आतंकवादी हमले ने साफ जाहिर कर दिया है कि हमारी प्रगति कुछ दुश्मनों के सहन से बाहर की चीज होती जा रही है। लेकिन हम डरनेवाले नहीं हैं। ये इस हमले का मुकाबला करने के हमने साबित कर दिया है। हमारे जवान भागे नहीं, भले ही उनके पास एके-४७ रायफल नहीं था। उन्होंने अपने पुराने हथियारों के दम पर ही सामना किया। छाती पर गोली खायी, पीठ पर नहीं। बेमौत नहीं मरे, बल्कि शहीद हुए देश के लिए। ऐसी शहादत तो नसीबवालों को ही मिलती है। इस शहादत को हम सलाम करते हैं। हम यहां इस बार शोक नहीं मनायेंगे, बल्कि मुंबई के फौलादी इरादे को अपनी हिम्मत से और मजबूत बनायेंगे। विलाप नहीं करेंगे, बल्कि हादसे से सबक लेकर आतंकवाद के जुमले रटकर राजनीति नहीं करने की शपथ लेंगे। इस बार आतंकवादियों ने सामने आकर ललकारा है। इसका सामना करने से हम पीछे हटनेवाले नहीं हैं। मुंबई हम तुम्हारे साथ हैं।

5 टिप्‍पणियां:

अनुराग ने कहा…

उन्होंने भारत को जंग में हरा ही दिया

अपने ड्राइंग रूम में बैठ कर भले ही कुछ लोग इस बात पर मुझसे इत्तेफाक न रखे मुझसे बहस भी करें लेकिन ये सच है उन्होंने हमें हरा दिया, ले लिया बदला अपनी...

डॉ .अनुराग ने कहा…

आपने कभी सोचा है की अमेरिका पे दुबारा हमला करने की हिम्मत क्यों नही हुई इनकी ?अगर सिर्फ़ वही करे जो कल मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में कहा है तो काफ़ी है.....अगर करे तो....
फेडरल एजेंसी जिसका काम सिर्फ़ आतंकवादी गतिविधियों को देखना ....टेक्निकली सक्षम लोगो को साथ लाना .रक्षा विशेषग से जुड़े महतवपूर्ण व्यक्तियों को इकठा करना ....ओर उन्हें जिम्मेदारी बांटना ....सिर्फ़ प्रधान मंत्री को रिपोर्ट करना ,उनके काम में कोई अड़चन न डाले कोई नेता ,कोई दल .......
कानून में बदलाव ओर सख्ती की जरुरत .....
किसी नेता ,दल या कोई धार्मिक संघठन अगर कही किसी रूप में आतंकवादियों के समर्थन में कोई ब्यान जारीकर्ता है या गतिविधियों में सलंगन पाया जाए उसे फ़ौरन निरस्त करा जाए ,उस राजनैतिक पार्टी को चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए .उनके साथ देश के दुश्मनों सा बर्ताव किया जाये .......इस वाट हम देशवासियों को संयम एकजुटता ओर अपने गुस्से को बरक्ररार रखना है .इस घटना को भूलना नही है....ताकि आम जनता एकजुट होकर देश के दुश्मनों को सबक सिखाये ओर शासन में बैठे लोगो को भी जिम्मेदारी याद दिलाये ....उम्मीद करता हूँ की अब सब नपुंसक नेता अपने दडबो से बाहर निकल कर अपनी जबान बंद रखेगे ....

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

आप से सहमत हूँ। हमें वैसा ही साहस दिखाना होगा जैसा हम युद्ध में दिखाते हैं।

सागर नाहर ने कहा…

प्रभातजी
बहादुर सैनिकों के दम पर हम तो एक बार फिर हिम्मत कर लेंगे पर क्या नेता सुधरेंगे?
क्या उनका कोई कर्तव्य नहीं है?

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

" शोक व्यक्त करने के रस्म अदायगी करने को जी नहीं चाहता. गुस्सा व्यक्त करने का अधिकार खोया सा लगता है जबआप अपने सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पाते हैं. शायद इसीलिये घुटन !!!! नामक चीज बनाई गई होगी जिसमें कितनेही बुजुर्ग अपना जीवन सामान्यतः गुजारते हैं........बच्चों के सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पा कर. फिर हम उस दौर सेअब गुजरें तो क्या फरक पड़ता है..शायद भविष्य के लिए रियाज ही कहलायेगा।"

समीर जी की इस टिपण्णी में मेरा सुर भी शामिल!!!!!!!
प्राइमरी का मास्टर