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सोमवार, 1 मार्च 2010
शशि थरूर जी आपका अगला बयान क्या है?
शशि थरूर क्या हैं और कौन हैं, सब जानते हैं। उनकी संयुक्त राष्ट्र में बतौर अधिकारी की पारी को भी हम गर्व से याद करते हैं। अहा जिंदगी में शशि की जिंदगानी की कहानी को पढ़ा था। उसमें उन्होंने बताया था कि वह पढ़ने में काफी तेज थे। काफी तेज। उनके संयुक्त राष्ट्र में व्यापक अनुभव के बाद हम लोग भी मंत्रमुग्ध थे। अब भी हैं, लेकिन शशि के बयानों ने उनके विरोधियों के तेवर सख्त कर दिये हैं। कभी-कभी लगता है कि शशि थरूर थ्री इडियट्स के रैंचो हैं। उनके पास हर समस्या का समाधान है। बताइये, उन्होंने सऊदी अरब से मध्यस्थता कराने की बात कर दी। विदेश नीति के बात करनेवाले थरूर सीधे तौर पर तीसरे पक्ष की भागीदारी की बात कर रहे हैं। क्या गजब का खेल है? एक अमेरिका और चीन ही विदेश नीति को प्रभावित करने के लिए काफी हैं, वहीं अब तीसरी पार्टी के रूप में सऊदी अरब की बात कर क्या मुसलिम देशों की गुटबंदी को मजबूत करने की ओर कदम बढ़ाने की वकालत नहीं है। थरूर उस राजकुमार सरीखे लगते हैं, जो सोने की चमच्च के साथ पैदा हुए और जिन्हें व्यावहारिक दुनिया का जरा सा भी भान नहीं है। वैसे थरूर में कुछ है। कभी-कभी लगता है कि वे सिस्टम से हटकर बातें करते हैं। वे समाधान की बात सामान्य तरीके से हटकर करते हैं। शायद वे जिस अभिजात्य शैली में शासकीय और डिप्लोमैसी के गुण सीखकर आये हैं, उसमें राजनीतिक दृष्टिकोण का तरीका अलग है। वे टि्वट करते हैं। खुलकर कह जाते हैं। दिल की बात करते हैं। एक बात कहें, तो शशि भारतीय राजनीति एक अलग क्रांति कर रहे हैं। अनायास ही वे लीक से हटकर बयान देकर बहस को वह मंच प्रदान कर रहे हैं, जहां असलियत खुद परदे से बाहर आ जाती है। भारतीय राजनेता तो मीठी जुबान और परदे की राजनीति करने में माहिर हैं, लेकिन शशि सीधे और सपाट बोल जाते हैं।
असलियत बोल जाते हैं। वे कैटल क्लास विवाद में भी सही बात बोल गए थे। बात वही है कि असलियत सामने आ जाती है। ऐसे में थरूर को गलत भी कह सकते हैं या सही भी। वैसे अब वे भारतीय राजनीति के राजकुमार सरीखे हो गये हैं, जिन पर आधी मीडिया का ध्यान हैं। एक शब्द में कहें, तो अब थरूर के अगले बयान का इंतजार है।
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