शुक्रवार, 12 सितंबर 2008

भाषा पर विवाद उचित नहीं

मुम्बई किसकी, इसे लेकर पिछले कुछ दिनों से चला आ रहा विवाद अंततः राज द्वारा माफी दिये जाने के बाद लगता है खत्म हो गया है। लेकिन इस पूरे प्रकरण ने लोगों के टूटते धैयॆ को रेखांकित किया है, जो ठीक नहीं है। विवाद में आये तीनों व्यक्तित्व समाज के उन तीन हिस्सों का नेतृत्व करते हैं, जिनके ऊपर इस पूरे समाज और देश को राह दिखाने की जिम्मेवारी है। भले ही यह हाइ प्रोफाइल मामला लगे, लेकिन इसका सीधा असर आम जनमानस पर पड़ता है। यह आम जनमानस बेचैन है। उसकी दाल-रोटी की चिंता करनेवाले ही जब आपसी विवाद में उलझ जायें, तो उनका क्या होगा? इस अखंड भारत में हर नागरिक को कहीं भी रहने की छूट है। भाषा, रहन-सहन के आधार पर कभी भी हमें एक-दूसरे के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए।

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