(कभी-कभी ऐसी खबरें भी रहती हैं, जिनके बारे में बाहर की दुनिया को बताना जरूरी है। क्योंकि ये छोटी खबरें समाज में सकारात्मक बदलाव और बेहतर नजरिये के बारे में बताती हैं। इसी कड़ी में झारखंड में पदस्थापित आइएफएस सिद्धाथॆ त्रिपाठी की अनूठी पहल के बारे में जानिये। कैसे उनके प्रयास ने दलमा के ग्रामीणों को स्वास्थ्य के मामले में स्वावलंबी बनाया)
आज पूरे देश में बदलाव की बयार बह रही है। प्राइवेट सेक्टर युवाओं को भरपूर नौकरी का अवसर दे रहा है। ब्यूरोक्रेसी में पहले जैसी एट्रेक्शन नहीं रही। ब्यूरोक्रेसी की एफिसियेंसी पर सवाल उठ रहे हैं। उस दौर में कुछ ऐसे अधिकारी भी हैं, जिनके प्रयास ने लोगों की जिंदगी बदल डाली है। .................
ऐसे ही एक इंडियन फॉरेस्ट सरविस के अधिकारी हैं सिद्धाथॆ त्रिपाठी। श्री त्रिपाठी झारखंड राज्य में डीएफओ के पद पर पदस्थापित हैं। इन्होंने आइआइटी रुड़की से इंजीनियरिंग करने के बाद इंडियन फॉरेस्ट सरविस में योगदान दिया। इन्होंने दलमा इलाके में विशु शिकार पर रोकने में अनोखी भूमिका निभायी।
विभाग ने इनके बेहतरीन कामों को देखते हुए केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना में से कुछ राशि स्वीकृत की। दूरदरशीॆ श्री त्रिपाठी ने इन पैसों का सदुपयोग करने का फैसला लिया। इन पैसों का उपयोग दलमा के आसपास के गांवों में किया जानेवाला था।
व्यक्तिगत स्तर पर पहल करते हुए डीएफओ श्री त्रिपाठी ने दलमा और आसपास के ८२ गांवों में बैठक करनी शुरू की। कुछ बैठकों में खुद गये और ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं। पता चला कि ग्रामीणों को सेनिटेशन और साफ-सफाई की कोई जानकारी नहीं थी। परिणाम था कि कोई अगर बीमार पड़ जाता, तो पीड़ित मरीज गांव पहुंचने से पहले ही काल के गाल में समा जाता।
समस्या जानने के बाद डीएफओ ने रामगढ़ जिले में स्थित वृंदावन अस्पताल के प्रमुख से भेंट की और उनसे ग्रामीणों को साफ-सफाई और मेडिकल की ट्रेनिंग देने का अनुरोध किया। ८२ गांवों के चुने हुए ५७ लोगों को ट्रेनिंग मिली। इनमें १५ महिलाएं भी थीं। आज सभी लोग मलेरिया, डायरिया और पीलिया का इलाज करना सीख चुके हैं। रक्तचाप की जांच भी खुद कर लेते हैं।
जानकारी के अनुसार ट्रेंड विलेजसॆ को ३५ सौ रुपये का मेडिकल किट्स भी मिलेगा।
एक अधिकारी का सकारात्मक नजरिया कैसे पूरी आबादी को प्रभावित करता है। इसका इससे अच्छा उदाहरण दूसरा नहीं हो सकता है। आशा है कि सिद्धाथॆ जी आगे भी आम जनता की ऐसी ही सेवा करते रहेंगे।
1 टिप्पणी:
त्रिपाठी जी को साधुवाद!!!
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