शनिवार, 13 सितंबर 2008

पोटका की घटना ने शुरू की नयी बहस

झारखंड के पोटका विधानसभा इलाके में भूषण स्टील के लिए सरवे का काम करने गये कमॆचारियों के साथ मारपीट की गयी। इससे राज्य का उद्योग जगत भी अचंभित है। उद्यमी इस घटना के खिलाफ गोलबंद होने लगे हैं। पं बंगाल के सिंगुर में ममता का टाटा के खिलाफ आंदोलन और उसके बाद यह घटना, कोई सुखद संकेत नहीं है। याद करिये, झारखंड के सीएम शिबू सोरेन ने टाटा को नैनो का प्लांट लगाने के लिए आमंत्रित भी किया था। लेकिन अब पोटका में घटी घटना ने इन सारी बातों को लेकर एक नयी बहस फिर से शुरू कर दी है। जल, जंगल और जमीन का नारा देकर जिस तरह का आंदोलन किया जा रहा है, क्या वह उचित है? शायद सरकार की विस्थापन की नीतियां ही स्पष्ट नहीं हैं। लोगों को सरकार और जनप्रतिनिधियों ने अपने साथ नीति निधाॆरण के समय साथ नहीं रखा। यही कारण है कि मिस अंडरस्टैंडिंग की ऐसी स्थिति में कंपनियों और सरकार को आंदोलन का सामना करना पड़ रहा है। सरकार और जनप्रतिनिधि कम से कम पहले आम जनता को इन स्थापित होनेवाले उद्योगों के फायदे और नुकसान के बारे में समझा दे, यही उचित है। नहीं तो आनेवाले दिनों में और आंदोलन होंगे। इससे नुकसान हमारे देश और राज्यों को ही है।

5 टिप्‍पणियां:

Kavita Vachaknavee ने कहा…

नए चिट्ठे का स्वागत है. निरंतरता बनाए रखें.खूब लिखें,अच्छा लिखें.

शोभा ने कहा…

अच्छा लिखा है. स्वागत है आपका.

रंजन राजन ने कहा…

हिंदी दिवस पर हिंदी चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है।
आगाज सचमुच शानदार है। अंजाम और भी जानदार हो, इसके लिए शुभकामनाएं।

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है बधाई कृपया मेरे ब्लॉग पर पधारें

Sajeev ने कहा…

नए चिट्टे की बहुत बहुत बधाई, निरंतर सक्रिय लेखन से हिन्दी ब्लॉग्गिंग को समृद्ध करते रहें.

आपका मित्र
सजीव सारथी
आवाज़