बुधवार, 3 दिसंबर 2008

चीन से टकराने की बात क्यों नहीं करते?

देश में शांति चाहिए। किसी ने कहा था कि अगर शांति चाहिए, तो युद्ध के लिए तैयार रहो। लेकिन क्या हम युद्ध के लिए तैयार हैं? आज भारतीय सेना की हालत खराब है। सैन्य उपकरण पुराने हो चुके हैं। सुरक्षा तंत्र बेहाल है। नये युवक सेना में जाना नहीं चाहते। उन्हें तो मैनेजर की नौकरी में लाखों मिल जाते हैं, तो भला वे सेना में क्यों जायें? कहा ये जा रहा है कि पाकिस्तान पर सीधे आक्रमण कर दो। लेकिन क्या आप चीन पर आक्रमण की बात कर सकते हैं? नहीं, क्योंकि चीन आपको नानी याद दिला देगा। आपसे विचार, पैसे और आबादी तीनों में चीन आपसे ज्यादा ताकतवार है। इसलिए जरूरत अपनी जमीन को और मजबूत करने की है, न कि एक-दूसरे को आरोपी बनाने का।

वैसे आपके चिंतन के लिए................


Peace, in the sense of the absence of war, is of little value to someone who is dying of hunger or cold. It will not remove the pain of torture inflicted on a prisoner of conscience. It does not comfort those who have lost their loved ones in floods caused by senseless deforestation in a neighboring country. Peace can only last where human rights are respected, where people are fed, and where individuals and nations are free.

-- The XIVth Dalai Lama

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