बुधवार, 17 दिसंबर 2008
सम्मानजनक रिटायरमेंट लें द्रविड़
राहुल द्रविड़ मेरी ही उम्र के हैं। इंडियन टीम के सबसे सीनियर खिलाड़ियों में हैं। हाल के मैचों में उनके परफारमेंस को लेकर चिंता जतायी जा रही है। सीधे सपाट शब्दों में उम्र का खेल पर हावी होना साफ झलकता है। सचिन, गांगुली और द्रविड़ भारतीय क्रिकेट जगत के अनमोल हीरे हैं। सचिन ने इग्लैंड के खिलाफ शतक मारकर अपनी कायम क्षमता का परिचय भी दे दिया है। गांगुली रिटायर हो चुके हैं। तीनों ही समान उम्र के हैं और इन्होंने भारतीय क्रिकेट को काफी कुछ दिया है। इनकी अहमियत को नकारा नहीं जा सकता। लेकिन जो सवाल मन में है, उसे कहने को इच्छुक हूं। मन ये कहता है कि क्या किसी खिलाड़ी को एक खास पड़ाव पर, लोकप्रियता के शिखर पर ही सम्मानजनक विदाई नहीं लेनी चाहिए? एक महत्वपूणॆ सवाल है? जो आनेवाले क्रिकेटरों और खिलाड़ियों को भी प्रभावित करेगा। भारतीय क्रिकेट जगत काफी उतार-चढ़ाव के बाद फिर मजबूती ओर बढ़ रहा है। लेकिन सवाल वही, क्या ज्यादा उम्र के खिलाड़ी टीम के साथ रहें उचित है। इन खिलाड़ियों का दबदबा शायद उन नये खिलाड़ियों के मौकों को दरकिनार कर दे रहा है, जो इन सीनियर खिलाड़ियों के नहीं रहने से उन्हें मिलता। किसी भी खेल में कम से कम एक खास समय की सीमा होनी चाहिए। गांगुली दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर जरूर टिके रहे, लेकिन आखिरकार रिटायरमेंट ले ली। इस उम्र में अगले १५-२० सालों तक इन खिलाड़ियों में कम से कम इतनी फिजिकल फिटनेस जरूर रहती है कि ये यंग जेनरेशन को गाइड कर सकें। अपना समय खेलने से ज्यादा यंग जेनरेशन के खिलाड़ियों को दे सकें। ये जरूरी भी है। खेलों में मिल रहे पैसे और प्रसिद्धि का मोह शायद उन्हें खुद को रिटायर घोषित करने से रोकता है। लेकिन इस मोह का त्याग करना जरूरी है।
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2 टिप्पणियां:
आपने कहा तो ठीक ही है प्रभात जी पर मानता कौन है .
सहमत हूँ आपसे . एक सम्मानजनक विदाई स्वयम ले लेनी चाहिए . अन्यथा जनता की आलोचना से मजबूर होकर उन्हें निकाला जायेगा . जो की ठीक नही होगा .
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